लॉकडाउन और 2 मार्मिक कहानियां (Lockdown best two Story ): Corona virus ने दुनिया के हालात बदल दिए | 24 घंटे चलने वाले शहर कई दिनों के लिए सुने हो गए | दुनिया एक भारी मंदी से गुजरने वाली है |
इन सब के बीच कुछ रिश्ते है, जो अपनों में अपनी जगह तलाश रहे है | जो कभी साथ ना बैठ पाए थे, उनके पास आज जुड़ने का अमूल्य समय है | ईश्वर ने इंशान को जैसे याद दिलाया हो कि तू सिर्फ इस प्रथ्वी पर मेहमान है | अपने आप को महान समझाना छोड़ दो |
इस पोस्ट में (Lockdown best two Story) मैंने उन्ही दो लोगो (बच्चे और माँ-बाप ) के बारे में बात की, जिनके प्यार को हमेशा कम आकां गया |
आइये कहानी शुरू करते है…………………. Lockdown best two Story.
कहानी 1 – लॉकडाउन और बच्चे
बिट्टू टीवी बंद कर दे अब……… कहते हुए मम्मी ने टीवी की बटन बंद कर दी |
बिट्टू रोने सा चेहरा बना कर मम्मी को देखने लगा |
सात साल का बालक इससे ज्यादा कुछ कर भी नहीं सकता था क्योकि कल ही गुस्सा दिखाने पर मम्मी ने उसे डाटा था |
बिट्टू हाथ में TV का रिमोट लिए बंद TV के तरफ देखने लगा |
अब क्या किया जाए? सोचते हुए उसकी नजर टेबल पर रखे मोबाइल पर गई | जैसे ही मोबाइल को छुआ, मम्मी ने फिर उसे मोबाइल ना चलाने की सीख दी |
जब से corona virus के कारण लॉकडाउन (lockdown) हुआ है, घर में सब है लेकिन बिट्टू के साथ कोई भी time spend नहीं कर रहा है|
बिट्टू सोच रहा था मुझे पता है टीवी देखना और मोबाइल चलाना मेरे लिए सही नहीं है लेकिन मैं क्या करू ?
पहले तो मैं बाहर दोस्तों के साथ खेलने चला जाता, साइकिल चलाता था | लेकिन अब दिन भर घर में ही रहना पडता है |
मुझे पता है मैं मोबाइल के अलावा घर में केरम, चेस, बेड मिन्टन, बैट बॉल, और भी दुसरे कई खिलोने है लेकिन इन्हें खेलने के लिए मुझे किसी 1 खिलाडी की जरुरत है |
पापा कंप्यूटर पर उंगलिया चलाते रहते है और मम्मी घर का काम करने के बाद सो जाती है | फिर उठ कर काम करने लगती है |
मेरे लिए बहुत कम समय होता है मम्मी पापा के पास |
मैं अकेला कब तक दीवारों के सहारे खेल खेलु |
साथ ही वह सोचने लगा पता नहीं कितने ही मेरे जैसे बिट्टू अपने घरो में इसी उधेड़ बुन में लगें होंगे, की कोई उनके साथ ज्यादा वक्त बिताये |
और वह सोफे से उठ कर खिड़की के पास जाकर बैठ गया |
निष्कर्ष: यदि आपके घर में भी छोटे बच्चे हो, जो पहले अपना अधिकतर समय दोस्तों के साथ बिताते थे तो उनके साथ ज्यादा वक्त बिताये |लॉक डाउन का असर बच्चो पर भी पड़ रहा है| इस समय उन्हें आपके समय की ज्यादा जरुरत है |
Lockdown best two Story
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कहानी 2 – लॉकडाउन और माँ बाप
दिन में 11 बजे के आस पास मेरे मोबाइल की रिंग बजी | गाँव से मम्मी का कॉल था |
हेलो विहान, क्या कर रहे हो ? – मम्मी बोली |
मैंने कहा – कुछ नहीं मम्मी | TV देख रहा था |
मम्मी ने कहा – सुना है शहर अभी और बंद रहेगा | तुम लोग भी गाँव आ जाओ | तुमने पहले भी मेरी बात नहीं सुनी, और वही रह गए |
मम्मी बोलती रही – बेटा, बीमारी का कोई इलाज नहीं मिल रहा है | तेरे पापा और दादी भी तुम चारो की चिंता करते रहते है | मम्मी मेरी पत्नी और बच्चो के बारे में कह रही थी |
हाँ, मम्मी में थाने से लिखवाकर लाने की कोशिश करता हूँ | – मैंने झूठी सात्वना देते हुए कहा
मम्मी ने कहा – हां, तू बात करना | चल ठीक है रखती हूँ| दादी आवाज दे रही है |
उसे बोल दे, वो हमारी चिंता ना करे | – मोबाइल पर मुझे पापा की आवाज सुनाई दी |
कॉल कट गया |
मै अपनी कुर्सी पर बैठे बैठे सोच में पड़ गया | दौडती भागती दुनिया में कहा से कहा तक आ गया | अपना गाँव मैं कितने पीछे छोड़ कर आ गया |
नवमी क्लास में पढने के लिए गाँव से निकला था, तब ये ना पता था की वापिस गाँव में महीने तक रुकने के लिए कई साल लग जायेंगे या फिर ना भी रुक पाउ|
प्राइवेट नौकरी ने मेरा गाँव जाना साल दो साल में 1 बार कर दिया | इस बार का लॉकडाउन मेरे मम्मी पापा के लिए लम्बी छुट्टी के जैसा था |
जब भी हम गाँव जाते थे, मम्मी इतना ध्यान रखती थी कि मन करता यही रह जाऊ |
वो चाहते है की शायद हम लोग उनके साथ लम्बा वक्त बिताये | वो गाँव में छोटे बच्चो को देख कर अपने पोते पोतियो को याद करते होंगे |
मम्मी पापा की चिंता और प्रेम का संगम, मुझे सिर्फ छोटी बात लगी |
आज जो बच्चे मम्मी पापा के साथ है, उनके मम्मी पापा के लिए दुनिया की सारी दौलत तुच्छ है | लॉकडाउन उनके लिए जैसे वरदान है |
इस बार तो शायद नहीं जा पाउँगा लेकिन आगे कभी जाने से पहले इतना सोच विचार नहीं करूँगा | पछतावे के साथ आँखों से चश्मा उतारकर अपनी गीली आँखों को साफ़ किया, और मम्मी पापा की याद में खो गया |